Sunday, February 13, 2011

This is news clipping published in Dainik Jagaran on 17th July, 2010. This can be seen on below link

http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_6577112.html

आदमी तो वह भी है..
Jul 17, 11:28 am

नरकटियागंज [प. चंपारण, श्रीनिवास गौतम]। नजीर का कलाम, 'यहां आदमी की जान को वारे है आदमी', उस शख्स पर सटीक बैठता है। नाम शत्रुघ्न झा। वर्तमान में नरकटियागंज रेलवे स्टेशन के सहायक स्टेशन मास्टर। हड़बोरा नदी के तट पर खुला मानव सेवा आश्रम यदि आज अनाथों का नाथ बना हुआ है तो यह उन्हीं की देन है।

असहाय व अनाथ बच्चों के शिक्षादान और सेहत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए आश्रम प्रसिद्ध होता जा रहा है। इलाके में कई स्थानों पर इस आश्रम के विद्यालय चल रहे हैं, जहां गरीब गुरबों के बच्चे मुफ्त में तालीम हासिल कर रहे हैं। उनके इस काम में अब इलाके के लोगों ने भी मुफ्त में सहयोग करना शुरू कर दिया है। निशुल्क पढ़ाना और सेवा के काम आना यहां कई लोगों का शगल बन गया है।

1997 में स्वामी विवेकानंद की जयंती पर शत्रुघ्न झा ने मानव सेवा आश्रम की नींव रखी थी। पहले यहां कुष्ठ आश्रम खोला गया। दर्जनभर कुष्ठ रोगी यहां रहते थे। रोगियों को आश्रम की ओर से भीख मांगने से मना कर दिया गया। आश्रम का कहना था कि खाना और इलाज नि:शुल्क मुहैया कराया जाएगा, लेकिन जिसे भिक्षाटन ही बेहतर लगा, वे यहां से चुपचाप चले गए।

2004 में आश्रम की ओर से गरीब, असहाय व अनाथ बच्चों को शिक्षित करने के लिए स्कूल खोला गया। बाद में जनसहयोग से कैरी, रमना बसवरिया, अंजुआ, भंटाडीह, बंजरिया भलुहईया, नरकटियागंज में कैंप स्कूल खोलकर पहली से सातवीं कक्षा तक गरीब बच्चों को मुफ्त शिक्षा दी जाने लगी। उन्हें चरखों पर सूत कातना भी बताया जाने लगा।

अब तक पांच हजार से ज्यादा बच्चे यहां से शिक्षा प्राप्त कर विभिन्न विद्यालयों में दाखिला पा चुके हैं। इस वर्ष ही यहां से शिक्षा प्राप्त धूमनगर की रीता कुमारी, ममता कुमारी व निर्मला कुमारी इंटर में प्रथम श्रेणी से पास हुई हैं।

खास बात यह है कि आश्रम के स्कूलों से शिक्षा पाने वाले छात्र ही यहां शिक्षण कार्य कर रहे हैं। फिलहाल इस आश्रम के स्कूलों में कुल पांच सौ बच्चे पढ़ रहे हैं।

आश्रम की ओर से तीन वर्षो के दौरान आठ हजार से ज्यादा लोगों का नि:शुल्क आंख का आपरेशन कराया गया है। इसके लिए मुंबई की एक संस्था स्वयं आगे बढ़कर डाक्टरों को लेकर आई और कैंप लगाकर इलाज किया गया। ठंड के मौसम में अनुमंडल क्षेत्र के विभिन्न गांवों में गरीबों के बीच स्वेटर, जैकेट, जूता, पैंट, शर्ट, कंबल, चादर, दरी आदि का वितरण तथा समय-समय पर महिलाओं के बीच नैपकिन और अग्निपीड़ितों के बीच वस्त्र, बर्तन, चूड़ा आदि भी बांटे जाते हैं।

नरकटियागंज में गांधी कथा वाचन समारोह भी आश्रम आयोजित कराता है।

गौरतलब है कि मानव सेवा आश्रम को करीब तीन वर्ष पहले तत्कालीन डीएम राहुल सिंह ने खुद पहल कर एनजीओ का निबंधन दिलाया था, लेकिन संस्थापक शत्रुघ्न झा ने इसे लौटा दिया। शुरू के दिनों में आश्रम को दान में कुछ सहयोग राशि मिल जाती थी, लेकिन पिछले दिसंबर से अब यह भी लेना बंद कर दिया गया है। श्री झा का मानना है कि उनके वेतन के पैसे और आश्रम की करीब तीन एकड़ की जमीन की उपज से ही वे उद्देश्यों को पूरा करने में लगे हैं। सीतामढ़ी के मूल निवासी झा का कहना है कि वे गांधी के आदर्शो से प्रेरित हैं और ताउम्र मानव सेवा ही उनका लक्ष्य है।

No comments: